कारा बाह्मन, गौर चमार
इनका संग न, न उतरे पार
इस दोहे का अर्थ है यदि ब्राह्मण काला है तो उसे संदेह कि दृष्टि से देखा जाएगा और दूसरी पंक्ति में दलित यानि चमार जाति का व्यक्ति है और वह गोरे रंग का है तो वह भी संदेह की दृष्टि से देखा जाना चाहिए। इस प्रकार रंग के आधार पर व्यक्ति की जाति का अनुमान लगा कर उसे अपमानित की जाने वाली न जाने और कितनी ही कहावतें और दोहे समाज में सरलता से प्रयोग किये जाते हैं।
हमारे देश में रंग भेद आज वैश्विक स्तर पर एक बड़ा मुद्दा बन गया है। ऐसे में सोशल मीडिया पर भी लोग इसे लेकर काफी जागरुक नजर आ रहे हैं। भारत में भी सौंदर्य प्रसाधन बनाने वाली एक कंपनी ने अपने लोकप्रिय उत्पाद के नाम से फेयर शब्द हटा दिया है।
रंगभेद को लेकर अब बॉलीवुड एक्ट्रेस अहाना कुमरा को लोगों ने सोशल मीडिया पर ट्रोल कर दिया। दरअसल अहाना ने भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सीनियर प्लेयर झूलन गोस्वामी के लुक में अपनी तस्वीर सोशल मीडिया पर शेयर की जिसके बाद उनके डार्क मेकअप को लेकर लोग काफी भड़क गए।
दरअसल अहाना कुमरा ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में 2 दिन पहले झूलन की तरह पोज वाले कुछ फोटोज शेयर किए थे जिसके कैप्शन में अहाना ने लिखा- नहीं मैं कोई फिल्म प्रमोट नहीं कर रही हूं। ये उस महिला की तरफ से मेरी ओर से एक ट्रिब्यूट है जिसकी प्रतिभा का मैं सम्मान करती हूं। उनके साथ कुछ समय बिताकर मैंने उनके जीवन के संघर्ष और क्रिकेट के प्रति उनके पैशन के बारे में जाना। आमतौर पर भारतीय महिला क्रिकेट टीम में झूलन दी के नाम से मशहूर झूलन गोस्वामी टीम में सभी की प्रिय है। ये फोटो सीरीज मेरी तरफ से उनके लिए एक ट्रिब्यूट है। एक दिन ऐसा भी आएगा जब एक एक्ट्रेस के तौर पर हम सारे मिथक तोड़ कर श्रेष्ठ कहानियां लोगों तक पहुंचा कर अपना उत्कृष्ट रूप पेश कर पाएंगे। अपनी कहानी मुझे बताने के लिए झूलन जी आपका शुक्रिया। मैं आपके श्रेष्ठ जीवन की कामना करती हूं।
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जिसमें कुछ लोगों का मनाना था कि इस तरह से झूलन के रंग को टारगेट किया गया है वहीं उनकी डिसरिस्पेक्ट भी की गई है।
वहीं इस पोस्ट पर झूलन ने अपना रिएक्शन दिया. उन्होंने फोटो पर कमेंट करते हुए लिखा- अच्छी जॉब, कीप इट अप सिस्टर।
भारत में 'रंगभेद' के खिलाफ आंदोलन चेन्नई में सन् 2009 में अन्नू हसन की गैरसरकारी संस्था "वुमन ऑफ़ वर्थ" के द्वारा "डार्क इज़ ब्यूटीफुल" के नाम से हुई।
वहीं बाद में वर्ष 2013 में अभिनेत्री नन्दिता दास ने इस मूवमेंट को आगे बढ़ाया और इसका नाम 'इंडिया गोट कलर' कर दिया। नंदिता मानती रही हैं कि भारतीय संस्कृति में कोई एक रंग नहीं है, बल्कि वह अनेक रंगों का सम्मिश्रण है।
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