भोपाल। मध्य प्रदेश के दतिया जिले में भारी बारिश के चलते एक बड़ा हादसा हुआ है। खालकापुरा इलाके में रियासत कालीन एक पुरानी दीवार के गिरने से सात लोगों की दर्दनाक मौत हो गई, जबकि दो अन्य लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाल लिया गया। यह हादसा गुरुवार सुबह करीब 4 बजे हुआ, जब दीवार ढहने से 9 लोग मलबे के नीचे दब गए थे। प्रशासन ने तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया।
दतिया शहर में एक पुरानी रियासत कालीन दीवार लंबे समय से जर्जर हालत में थी। भारी बारिश के कारण दीवार कमजोर होकर गिर गई और आसपास के घरों पर मलबा आ गिरा, जिसमें सो रहे लोग दब गए। मृतकों में एक ही परिवार के पांच सदस्य शामिल हैं। इस हादसे में जान गंवाने वालों की उम्र 18 से 60 वर्ष के बीच थी। मृतकों की सूची में निरंजन वंशकार, शिवम, सूरज, किशन, प्रभा, ममता और राधा शामिल हैं।
घटना की जानकारी मिलते ही दतिया कलेक्टर संदीप माकिन और अन्य वरिष्ठ अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। प्रशासन ने स्थानीय लोगों की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया, जिसके तहत दो लोगों को मलबे से सुरक्षित निकाल लिया गया। हालांकि, सात लोगों की जान बचाई नहीं जा सकी। कलेक्टर माकिन ने बताया कि राहत कार्य तेजी से किया गया लेकिन मलबे में दबे 7 लोगों की मौत हो गई।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और मृतकों के परिजनों को 4-4 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की। साथ ही, उन्होंने प्रदेश में भारी बारिश और बाढ़ की स्थिति को देखते हुए अधिकारियों को अलर्ट रहने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि अतिवृष्टि के कारण उत्पन्न आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए दतिया विधायक राजेन्द्र भारती ने कहा, "यह दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। एक ही परिवार के पांच लोगों सहित कुल 7 लोगों की मौत से दतिया में शोक का माहौल है। हमने सरकार से मांग की है, की पीड़ित परिवारों उचित मुआवजा मिलना चाहिए।"
मुख्यमंत्री यादव ने कहा कि वर्षा का चक्र बदलने के कारण सितंबर माह में सामान्य से अधिक बारिश हो रही है, जिससे कई स्थानों पर बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए कि निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को समय रहते सतर्क किया जाए और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें राहत शिविरों में स्थानांतरित किया जाए। इसके अलावा, जिन पुलों और सड़कों पर पानी बह रहा है, वहां विशेष सतर्कता बरती जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जहां भी लोग बाढ़ के पानी में फंसे हैं, उन्हें हेलीकॉप्टर के जरिए एयरलिफ्ट करने की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही, प्रदेश भर में पुराने और जर्जर भवनों को चिन्हित करके सुरक्षात्मक कदम उठाने के निर्देश भी दिए गए हैं। यदि आवश्यकता हो तो इन भवनों में रहने वालों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जाए ताकि ऐसे हादसे भविष्य में ना हों।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण हुई जनहानि और पशु हानि के लिए सरकार की ओर से तत्काल राहत दी जाएगी। हर जिले के कलेक्टर को निर्देश दिया गया है कि जनहानि की स्थिति में पीड़ितों को 4-4 लाख रुपये की राशि तत्काल प्रदान की जाए। इसके अलावा, पशुओं के हताहत होने की स्थिति में भी मुआवजा राशि की घोषणा की गई है।
मध्य प्रदेश में सितंबर माह में अतिवृष्टि के कारण कई जिलों में बाढ़ जैसी स्थितियां उत्पन्न हो चुकी हैं। प्रशासन इस पर सतर्क है और लगातार राहत और बचाव कार्यों में लगा हुआ है। मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के कलेक्टरों को आदेश दिए हैं कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्थिति सामान्य होने तक कोई भी अधिकारी छुट्टी पर नहीं जाएगा।
मुख्यमंत्री ने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को सतर्क किया जाए और आवश्यकतानुसार उन्हें राहत शिविरों में शिफ्ट किया जाए। पुराने भवनों की स्थिति की जांच कर उन्हें खाली कराया जाए और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाए।
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