स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी: वाशिंगटन में 14 अक्टूबर को अनावरित होगी बाबा साहब की सबसे ऊंची प्रतिमा

स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी: वाशिंगटन में 14 अक्टूबर को अनावरित होगी बाबा साहब की सबसे ऊंची प्रतिमा
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अमेरिका के वाशिंगटन में 'दलितों के मसीहा' और भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीम राव आंबेडकर की प्रतिमा अब समूचे भारतीय समाज का मान बढ़ाएगी। बाबा साहब की प्रतिमा अमेरिका के लोगों को जातिगत भेदभाव से ऊपर उठकर मानव मूल्यों, करुणा, समभाव व प्रेम से जीवन जीने की प्रेरणा देगी। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के तर्ज पर अमेरिका में स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी का अनावरण होने वाला है जो भारत के बाहर डॉ. अम्बेडकर (Dr. Bheemrao Ambedkar) की सबसे बड़ी व ऊंची प्रतिमा होगी। 14 अक्तूबर को मूर्ति का लोकार्पण किया जाएगा.

विदेशी मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, प्रसिद्ध कलाकार और मूर्तिकार राम सुथार ने बाबा साहब की मूर्ति को बनाया है, जिसे स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी के नाम से जाना जाएगा। अमेरिका के मैरीलैंड राज्य के एकोकीक शहर में 13 एकड़ भूमि पर डॉ. आंबेडकर की 19 फीट की मूर्ति स्थापित की जाएगी। आयोजकों को उम्मीद है कि मूर्ति के लोकार्पण के दौरान भारत और अमेरिका सहित दुनिया भर से अंबेडकरवादी लोग बड़ी संख्या में यहां पहुंचेंगे। स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी बाबा साहब के संदेशों और शिक्षाओं को विश्व भर में प्रदर्शित करने का काम करेगा।

जीवनभर सहन किया दलित होने का दंश

बाबा साहब भीमराव अंबेडकर पश्चिमी भारत के एक दलित महार परिवार में जन्म लेने के कारण  एक छात्र के रूप में अपने उच्च जाति के सहपाठियों द्वारा अपमानित हुए थे। शासक द्वारा छात्रवृत्ति से सम्मानित होने पर, उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया.

उन्होंने सोच लिया था कि जात-पात उच्च-नीच सब खत्म कर देंगे। डॉ. अम्बेडकर( Dr. Ambedkar) का प्रमुख योगदान दलितों को समाज में दूसरों के समान अधिकार, दर्जा और सम्मान दिलाने में मदद करना था। डॉ. अम्बेडकर भारत में पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने वाले पहले दलितों में से एक थे। उनकी वजह से भारत में कई छात्र कम शुल्क पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर पा रहे हैं। ऐसे लोग हैं जो आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और उच्च स्तरीय संस्थान में शिक्षा का खर्च वहन नहीं कर सकते, लेकिन बाबा साहब के कारण वे भी अपने बच्चों को उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करने में सक्षम हैं जो भारत का भविष्य सुरक्षित करेगी। आज हमारे देश की जो महिलाएं पढ़ रही हैं, आगे बढ़ रही है। वह सब बाबा साहब की ही देन है।

उनकी बातों योग्यता आदि को लोहा पूरा संसार मान चुका है इसीलिए उनके सम्मान के लिए पूरी दुनिया में कुछ ना कुछ होता रहता है।

न्यूयार्क में बाबा साहब के नाम की सड़क 

इस वर्ष 25 जून को न्यूयॉर्क शहर की एक सड़क आधिकारिक तौर पर दूरदर्शी लीडर बाबा साहब अम्बेडकर को समर्पित की गई। श्री गुरु रविदास सभा और न्यूयॉर्क की बेगमपुर सांस्कृतिक सोसायटी के अटूट प्रयासों की बदौलत प्रसिद्ध 61वीं स्ट्रीट ब्रॉडवे को बाबा साहब का नाम दिया गया। 

द मूकनायक के साथ एक विशेष बातचीत में, अमेरिका के प्रतिष्ठित दलित कार्यकर्ता दिलीप म्हस्के ने इस उल्लेखनीय उपलब्धि के बारे में जानकारी दी थी। उन्होंने टिप्पणी की, "प्रक्रियात्मक बाधाएँ विकट थीं। चूंकि सीनेट की मंजूरी की आवश्यकता थी, इस प्रक्रिया में कई वर्षों तक धैर्यपूर्वक इंतजार करना पड़ा। हालांकि, हमारे प्रयासों को एशियाई मूल के एक स्थानीय पार्षद से महत्वपूर्ण समर्थन मिला, बाद में, सीनेट सदस्यों और कांग्रेस महिलाओं ने इस मुद्दे के पीछे रैली की और इसे डेमोक्रेटिक पार्टी के माध्यम से आगे बढ़ाया। आख़िरकार, हमारे सामूहिक प्रयासों से सफलता मिली और सड़क का नामकरण बाबा साहब के नाम हो सका।"

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