राजस्थानः तकनीकी मदद, सेवा भाव से सुधार रहे ग्रामीण भारत की सेहत

आदिवासी चिकित्सक के लिए मानव सेवा ही सर्वोपरी, डॉक्टर ऑन डोर डिजिटल प्लेटफॉर्म की मदद से ग्रामीणों को सेहत के प्रति कर रहे जागरूक, तीन सौ से अधिक चिकित्सकों की टीम अभियान से जुड़ी।
मरीज को परामर्श देते हुए डॉ. हरिसिंह मीणा।
मरीज को परामर्श देते हुए डॉ. हरिसिंह मीणा।The Mooknayak
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जयपुर। बेहतर चिकित्सा सेवाओं के सरकारी दावों के बीच यह भी कड़वा सच है कि ग्रामीण भारत के लोग इलाज के लिए आज भी अप्रशिक्षित चिकित्सकों पर निर्भर है। विशेषज्ञ चिकित्सकों तक ठेठ गांवों में बसने वाले लोगों की पहुंच नहीं है। निर्धनता भी गम्भीर बीमारी से ग्रसित रोगियों को बड़े शहरों में विशेषज्ञ चिकित्सकों तक पहुंचने से रोकती है। आर्थिक तंगी या अन्य जानकारी के अभाव में गांव के लोग चिकित्सा सुविधाओं से वंचित नहीं रहे इसके लिए राजस्थान के एक आदिवासी चिकित्सक ने डिजिटल तकनीकी के माध्यम से 'डॉक्टर ऑन डोर' कॉन्सेप्ट शुरू किया है। इसका मकसद विभिन्न बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की जानकारी गांव के आम आदमी तक पहुंचा कर उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।

यह बात अलग है कि राजस्थान सरकार ने हाल ही में चिकित्सा क्षेत्र में स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू कर दिया है। इससे पूर्व मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत 25 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की व्यवस्था भी कर दी है, लेकिन प्रदेश के सुपर स्पेसलिटी सुविधाओं वाले बड़े अस्पताल आज भी सरकार की इन योजनाओं से खुद को दूर रख रहे हैं। इन अस्पतालों में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत रोगियों का उपचार नहीं किया जाता है। यही वजह है कि सरकारी सिस्टम धरातल पर लड़खड़ा जाता है।

मरीज को परामर्श देते हुए डॉ.हरिसिंह मीणा।
मरीज को परामर्श देते हुए डॉ.हरिसिंह मीणा।The Mooknayak

राजस्थान के गंगापुर सिटी के राजकीय जिला अस्पताल में कार्यरत एक आदिवासी चिकित्सक डॉ. हरिसिंह मीणा कहते हैं कि सरकारी सिस्टम में निचले स्तर पर खामियों के कारण लोग समय पर उपचार से वंचित नहीं रहे। इसी लिए उन्होंने डॉक्टर ऑन डोर डिजिटल सिस्टम की शुरूआत की है। डॉ. मीणा कहते हैं कि डॉक्टर ऑन डोर एक पहल है। यह ग्रामीण भारत को स्वास्थ्य बनाने का सपना है। इसी लिए इसका लोगो 'डॉक्टर ऑन डोर- स्वस्थ्य ग्रामीण भारत का सपना' बनाया गया है।

डॉ. मीणा कहते हैं कि इससे कोई इनकार नहीं है कि सरकार चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करवा रही है। निजी चिकित्सालय अपना सिस्टम उपलब्ध करवा रहे हैं। इन सबके बीच हम एक ऐसा सिस्टम बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो गांव तक आसानी से चिकित्सा सुविधा उपलब्ध करा सके।

डॉ. मीणा आगे कहते हैं कि मैं गांव का रहना वाला हूं। बड़े संस्थानों और शहरों में रहकर पढ़ाई की है। मैंने देखा है कि गांवांे में ही असली भारत बसता है। जब बढ़े शहरों और संस्थानों से गांव में उपलब्ध चिकित्सकीय सिस्टम की तुलना की तो अहसास हुआ कि आज भी ग्रामीण भारत में बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं है।

सरकार अपनी तरफ से बेहतर कोशिश कर रही है। इससे लोग लाभान्वित भी हो रहे हैं, लेकिन उदहारण के तौर गंगापुर सिटी जैसे बड़े शहर के जिला अस्पताल में पहली बार चर्म रोग विशेषज्ञ और मनोरोग विशेष चिकित्सक आए हैं। इससे पहले तक गंगापुर सिटी जैसे बड़े कस्बे में कोई मनोरोग या चर्मरोग विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं था।

सरकारी सिस्टम यदि आप ऊपर से देखते हैं तो आपको बहुत ही सुगम और सरल लगेगा। जब जमीनी हकीकत देखते हैं तो कुछ और नजर आता है। गंगापुर सिटी में बैठे किसी व्यक्ति को अचानक दिल का दौरा पड़ता है तो इस शहर में हृदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। सौ किलोमीटर दूर मरीज को लेकर जाओगे तो परिणाम सामने आ जाते हैं। हमारा सर्वे है कि राजस्थान के पांच प्रतिशत जिला मुख्यालयों पर ही हृदय रोग, न्यूरो सर्जन, न्यूरोलोजिस्ट जैसे सुपरस्पेसलिटी वाले चिकित्सक उपलब्ध है।

डॉक्टर ऑन डोर का बैनर।
डॉक्टर ऑन डोर का बैनर।The Mooknayak

डॉ. मीणा ने आगे कहा कि डॉक्टर ऑन डोर ऑनलाइन सुविधा शुरू करने के पीछे हमारा मकसद साफ है। हम चाहते हैं गांव के हर आदमी को विशेषज्ञ चिकित्सक की सेवाएं और परामर्श मिले ताकि लोगों की जान बचाई जा सके। हम अभी ऑन लाइन सिस्टम से केवल मार्ग दर्शन कर रहे हैं। हम चाहते है कि लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैले।

डॉक्टर ऑन डोर के माध्यम से हम लोगों को जागरूक करते हैं। गांवों में सर्पदंश के बाद मेडिकल उपचार लेने की बजाय लोग झाड़ फूंक करके अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं। जलने पर लोग कुछ भी उलटा सीधा लगाकर आ जाते हैं। चिकित्सा में भ्रम नहीं चलता।

वर्तमान में आई फ्लू रोग के मरीज आ रहे है। लोगों को यह भ्रम है कि दूसरे की आंखांे में देखने से आई फ्लू हो जाता है। कई डॉक्टर्स भी ऐसा मानते हैं, लेकिन यह गलत है। केवल भ्रम है। आपको जागरूक होना पड़ेगा। इसी तरह की वीडियो बनाकर हम डॉक्टर ऑन डोर पर डालते हैं। इस चौनल पर हमारी एक टीम है। इसका एक हेल्प लाइन नम्बर भी हमने जारी कर रखा है। 9413783078 पर फोन कर सकते हैं। मैसेज कर सकते हें। शाम को हमारी टीम आप की समस्या को जानकर मार्गदर्शन करती है। इसका कोई चार्ज नहीं होता है।

डॉक्टर ऑन डोर अभियान के सदस्य चिकित्सक का होर्डिंग।
डॉक्टर ऑन डोर अभियान के सदस्य चिकित्सक का होर्डिंग।The Mooknay

दूसरे डिजीटल प्लेटफार्म पर भी आप हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। हमारी टीम आपको सम्पर्क करेगी। उन्होंने कहा कि कागजी गरीबों से इतर जरूरतमंदों को आप हमारे पास भेज सकते हैं। उनकी बीमारी का देश में जहां भी उपचार सम्भव होगा। हमारी टीम उपचार करवाने का प्रयास करेगी। डॉक्टर ऑन डोर पर वर्तमान मे डेढ़ सौ सुपर स्पेशलिटी वाले चिकित्सक हैं। इनके अलावा एमबीबीएस चिकित्सक मिलाकर कुल तीन सौ सदस्य है। हमारे चौनल पर आपको सभी चिकित्सकों का परिचय मिलेगा। इनकी विशेषज्ञता क्या और कहां पोस्टेड है। यह जानकारी भी उपलब्ध है।

डॉ. मीणा कहते हैं कि जिस तरह सरकारी सिस्टम में पीएचसी, सीएचसी, जिला अस्पताल फिर मेडिकल कॉलेज होते हैं। हम भी डॉ. ऑन डोर के तहत शीघ्र ही ग्राम पंचायत स्तर पर क्लिनिक शुरू करेंगे। इसके बाद तहसील स्तर पर फिर जिला स्तर पर यह सुविधा शुरू करेंगे।

मेडिकल साइंस से मिला जीवन तो इसी पर कुर्बान

मरीज की जांच करते डॉ.हरिसिंह मीणा।
मरीज की जांच करते डॉ.हरिसिंह मीणा।The Mooknayak

स्वास्थ्य को लेकर लोगों को जागरूक कर रहे आदिवासी चिकित्सा डॉ. हरिसिंह मीणा बचपन में खुद ऐसी बीमारी से ग्रसित थे कि सही से चल फिर नहीं पाते थे। आसान भाषा में कहें तो उनके पैरों में टेड़ापन था। चिकित्सकीय भाषा में इस बीमारी को सी.टी.ई.वी. (कंजनाइटल टेलीपस इकीनोवेरस) कहते हैं। इस बीमारी से ग्रसित बच्चों के पैरो में जन्मजात टेड़ापन होता है। किसी का एक पैर तो किसी के दोनो पैरों में इसका असर देखा जा सकता है।

डॉ. मीणा ने बताया कि मेेरे घर वाले जागरूक थे। उन्होंने मेरा ध्यान रखा। मेरा ऑपरेशन जयपुर के एसएमएस अस्पताल में हुआ था। आज में बिल्कुल ठीक हूं। मेरा उपचार होने के बाद घर वालांे ने कहा कि मेरी जिंदगी को मेडिकल सांइस ने ही बनाया है। यह बात कहते हुए उन्होंने कहा कि अपना जीवन मेडिकल साइंस में खपा कर जरूरतमंदों की मदद करना। यह संयोग है कि मैंने एमबीबीएस की। इसके बाद जिस बीमारी से ग्रसित था उसी का विशेषज्ञ चिकित्सक भी बन गया।

मीणा ने एबीबीएस जोधपुर के एमएनएमसी से किया है। अस्थि रोग विशेष के रूप में पोस्ट ग्रेजुएट पीजीआईएमएस रोहतक हरियाणा से किया। इसके बाद एम्स दिल्ली और जयपुर के महात्मा गांधी अस्पताल जैसे बड़े संस्थानों में सेवा दी। यहीं से उनके दिमाग में गांव के लोगों की चिकित्सकीय जरूरतों को समझ कर समाधान करने का विचार आया था।

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