कर्नाटक। कहते हैं देश में जातिवाद नहीं हैं। सब एक समान हैं। सभी जाति सभी धर्म सबका इस देश में सम्मान किया जाता है। अगर हम सवाल करें कि क्या सच में ऐसा है? तो जवाब होगा नहीं। अगर समानता और सम्मान की भावना होती तो आज एक ऐसे नायक की तस्वीर न हटाई जाती। जी हां देश को संविधान देने वाले बाबा भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को हटाने को लेकर इन दिनों बवाल मचा हुआ है। दरअसल एक जिला न्यायाधीश ने तिरंगा फहराने से इनकार कर दिया। उसका कारण जान के आप अंचभित हो जाएंगे।
क्या है पूरा मामला?
ये मामला कर्नाटक का है जहां पिछले कई दिनों से बवाल मचा है। रायचूर में जिला न्यायालय के परिसर में गणतंत्र दिवस का समारोह था। इस दौरान महात्मा गांधी की तस्वीर के साथ देश के संविधान निर्माता और दलितों के नेता डॉ. भीमराव अंबेडकर की भी तस्वीर रखी गई थी। जिला न्यायाधीश मल्लिकार्जुन गौड़ा इस समारोह के मुख्य अतिथि थे जो कि ध्वजारोहण के लिए आए थे।
इस दौरान बाबा साहेब अंबेडकर का चित्र रखे जाने पर जिला न्यायाधीश ने झंडा फहराने से इनकार कर दिया। बाद में वहां से बाबा साहेब की तस्वीर को हटा दिया गया और फिर जाकर जिला जज ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाया और ध्वजारोहण किया। इस पूरे मामले का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
जज के खिलाफ प्रदर्शन
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को हटाना लोगों को रास नहीं आया। लोगों का कहना था कि ऐसे जननायक जिन्होंने देश को संविधान दिया उन्हीं की तस्वीर को हटाकर तिरंगा फहराना बाबा साहेब और संविधान का अपमान है।
डॉ. बीआर अम्बेडकर के चित्र को हटाने के लिए कार्यक्रम आयोजकों को प्रेरित करने वाले जिला न्यायाधीश मल्लिकार्जुन गौड़ा के खिलाफ गुरुवार को रायचूर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। एक दलित संगठन द्वारा घटना की निंदा करने के आह्वान के बाद कई वकीलों, संगठनों और यहां तक कि राजनीतिक दल के सदस्यों ने भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग लिया।
कर्नाटक हाईकोर्ट से अपील
बाबा साहेब की तस्वीर को हटाने का मुद्दा कोर्ट तक पहुंच गया। जी हां! गुरुवार को रायचूर की सड़कों पर भी विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को अवरुद्ध कर दिया और इसके साथ ही उच्च न्यायालय से गुहार भी लगाई।
प्रदर्शनकारियों ने कर्नाटक हाईकोर्ट से इस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेने और न्यायाधीश मल्लिकार्जुन गौड़ा को बर्खास्त करने की मांग की। प्रदर्शनकारियों का साफ कहना है कि जज मल्लिकार्जुन गौड़ा सार्वजनिक रुप से माफी मांगें। लोगों का कहना है कि "उच्च न्यायालय सुनिश्चित करें कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।"
कोर्ट ने मांगी रिपोर्ट
बार एंड बेंच के अनुसार, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल टीजी शिवशंकरगौड़ा ने बताया कि कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया है। कोर्ट ने घटना से संबंधित रिपोर्ट मांगी है।
बता दें कि, कोर्ट ने पहले गणतंत्र दिवस पर महात्मा गांधी की तस्वीर लगाने की मंजूरी दी थी, जबकि न्यायपालिका के आधिकारिक कार्यक्रमों के लिए डॉ. अम्बेडकर के चित्र को रखने का मामला न्यायालय की पूर्ण पीठ के समक्ष विचार के लिए लंबित है।
सोशल मीडिया पर रोष
बता दें कि, इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो में जज बाबा साहेब की तस्वीर को लेकर सवाल उठा रहे हैं। जब तक तस्वीर को हटाया नहीं गया तब तक उन्होंने गणतंत्र दिवस के कार्ययक्रम को आगे नहीं बढ़ाया।
इस वीडियो में ही लोगों द्वारा जज का विरोध करते देखा जा सकता है। सोशल मीडिया पर लोग तरह -रह के कमेंट कर रहे हैं।
किसी ने लिखा कि जिसने संविधान लिखने में अहम भूमिका निभाई उसी के फोटो को निकाला जा रहा है वो भी उस दिन, जिस दिन 73 साल पहले संविधान को अपनाया गया था।
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