नई दिल्ली। विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया (I-N-D-I-A) की दिल्ली में मंगलवार को हुई बैठक को लेकर चर्चाएं हैं। सबसे बड़ी बहस इस बात को लेकर है कि क्या विपक्षी दलों के गठबंधन के पास कोई प्रधानमंत्री पद का चेहरा है। गठबंधन की बैठक में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्किकार्जुन खडगे का नाम आगे बढ़ाया, जिसका आधा दर्जन से अधिक सहयोगी दलों ने समर्थन किया है।
ममता के इस प्रस्ताव का दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी समर्थन किया। अब सवाल है कि क्या कांग्रेस प्रमुख खरगे 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा होंगे। इसको लेकर राजनीतिक विश्लेषकों की अलग-अलग राय है।
वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक विश्लेषक शादाब अहमद ने बताया कि हाल में हुए पांच राज्यों के चुनाव में जातीय जनगणना का कार्ड नहीं चला। इससे तेलंगाना को छोड़ दें तो राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की करारी हार हुई। आशा के अनुसार पिछड़ी जातियों का वोट नहीं मिला। हालांकि दलितों का 60 प्रतिशत व अल्पसंख्यकों का 90 प्रतिशत वोट मिला है। इस लिहाज से इण्डिया गठबंधन की ओर से दलित मल्लिकार्जुन खडगे प्रधानमंत्री का सबसे मुफीद चेहरा है।
उन्होंने आगे बताया कि मल्लिकार्जुन खडगे के प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर प्रस्ताव का इण्डिया गठबंधन के किसी भी घटक दल ने विरोध नहीं किया है, जबकि एक दर्जन से अधिक संगठनों ने समर्थन ही जारी किया है। इसको लेकर अब सत्ता पक्ष में खलबली मची हुई है। राजस्थान, मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री के तौर पर दलित, आदिवासी व पिछड़े नेताओं का नाम आगे कर जो सोशल इंजीनियरिंग की गई। उसके काट के तौर पर इण्डिया गठबंधन ने यह दांव चला है जो फिलहाल कारगर लग रहा है।
द मूकनायक से बात करते हुए डॉ. लक्ष्मण यादव ने कहा कि यह प्रस्ताव स्वागत योग्य है। हालांकि इंडिया के सभी घटक दलों की क्या प्रतिक्रिया आती है, इसका इंतजार करना चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि आजादी के 75 साल गुजर जाने के बाद भी आज तक कोई दलित प्रधानमंत्री नहीं बना है। ये सामान्य बात नहीं है। अगर हम अमेरिका से उदाहरण ले तो रंगभेदी व नश्लभेदी होने के बावजूद भी वहां एक ब्लैक राष्ट्रपति बना। भारत की आबादी के एक हिस्से को अछूत रखा गया। आज भी यह भेदभाव कायम है। ऐसे में विपक्ष की पार्टियां एक दलित दक्षिण भारतीय बुजुर्ग व अनुभवी नेता का प्रधानमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश कर रही है तो उनको आने वाले चुनाव में इसका फायदा होगा।
इधर, खडगे ने इस विचार को खारिज किया है। उनका कहना है कि पीएम पद के लिए नाम बाद में भी तय हो सकता है, पहले हमारा मकसद चुनाव जीतना होना चाहिए। सूत्र बताते हैं कि कई नेता खरगे का इसलिए भी समर्थन कर रहे हैं क्योंकि यह देश में पहली बार दलित प्रधानमंत्री बनाने का मौका होगा। केजरीवाल की भी यही प्रतिक्रिया थी की दलित प्रधानमंत्री भी मुद्दा हो सकता है। केजरीवाल का कहना है कि खरगे के पीएम उम्मीदवार होने से गठबंधन को फायदा होगा क्योंकि वे दलित नेता हैं।
गठबंधन में कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जिसकी देशभर में उपस्थिति है। ऐसे में पीएम पद पर कांग्रेस के ही किसी नेता का नाम तय हो सकता है। कई लोग राहुल गांधी का नाम आगे करना चाहते हैं, लेकिन इस नाम को लेकर गठबंधन के भीतर आम सहमति बनती नहीं दिखती।
मीडिया से बातचीत में कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि यह एक बहुत ही सफल, सार्थक बैठक थी। सभी ने दिल खोलकर बातचीत की। आलोचना भी हुई। जहां 25-26 पार्टियां एक साथ बैठेंगी वहां थोड़ी-बहुत आलोचना तो होनी ही चाहिए ताकि आगे बातचीत सफल हो सके। मुख्य फोकस सीट बंटवारे को अंतिम रूप देने पर था। कई चीजों पर चर्चा हुई लेकिन सब कुछ आज ही तय नहीं किया जा सकता। सीट बंटवारे पर चर्चा तुरंत शुरू की जानी चाहिए, इसी पर चर्चा हुई।
मीडिया से सांसद पीसी थॉमस ने कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का सुझाव पीएम फेस के लिए आया था लेकिन अंतिम समय सुझाव आने की वजह से चर्चा नहीं हो सका। ममता बनर्जी ने दलित चेहरा पीएम पद केलिए सामने लाने का प्रस्ताव दिया। ममता बनर्जी ने कहा कि यह अच्छा होगा अगर हम प्रोजेक्ट कर सकें एक दलित प्रधानमंत्री। इस मामले पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई क्योंकि वह सबसे आखिर में बोलीं।
मल्किकार्जुन खडगे का जन्म 21 जुलाई 1942 को कर्नाटक के गुलबर्गा जिले में हुआ था। वे 1969 में कांग्रेस में शामिल हुए। कर्नाटक से आने वाले 80 साल के मल्लिकार्जुन खरगे 8 बार विधायक और 2 बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं। इस समय वे राज्यसभा के सदस्य भी हैं। गुलबर्गा सीट से उन्होंने 2009 और 2014 में लोकसभा का चुनाव जीता।उनकी छवि भी साफ है और वे कांग्रेस के वफादार माने जाते हैं क्योंकि वे पार्टी में बहुत लंबे समय से हैं। वे कर्नाटक सरकार में कई बार मंत्री भी रहे। वे वहां सीएम पद की रेस में भी थे, लेकिन मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। वे देश के रेलमंत्री भी रहे हैं।
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