नई दिल्ली। डॉ. भीमराव आंबेडकर ने आखिरी दिनों में सभी धर्मों पर गहरा अध्ययन करने के बाद देश में फैली जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए साल 1956 में छह लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धम्म को स्वीकार किया था। यह दीक्षा उन्होंने नागपुर के दीक्षा भूमि में ली थी। इस दिन को अशोक विजय दशमी के रूप में महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।
आंबेडकर के पौत्र ने दिलाई बौद्ध दीक्षा
इस साल अशोक विजयदशमी के दिन पूरे देश में लगभग एक लाख लोगों ने बौद्ध दीक्षा ली। इसी दिन देश की राजधानी दिल्ली में भी लोगों ने बौद्ध दीक्षा ली। दिल्ली के करोल बाग स्थित अंबेडकर भवन में अशोक विजयदशमी बड़ी धूमधाम से मनाई गई, जिसमें दिल्ली और आस-पास के इलाकों से आकर लोगों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम में लगभग 10 हजार लोगों ने बौद्ध दीक्षा ली।
कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजिंदर पाल गौतम द्वारा किया गया। इसमें डॉ. बीआर आंबेडकर के पौत्र और बुद्धिस्ट सोसयिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजरत्न आंबेडकर के साथ कई बौद्ध भिक्षुओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में मौजूद 10 हजार लोगों को राजरत्न अंबेडकर ने दीक्षा देते हुए 22 प्रतिज्ञाएं दिलाई। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने बौद्ध दीक्षा लेने के बाद जय भीम का नारा भी लगाया।
पुरानी विरासत की तरफ वापसी
कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा कि हम अपने पूर्वजों को फिर से अपना रहे हैं। बाबा साहब ने बौद्ध के रास्ते पर चलकर विश्व गुरु बनने का सपना देखा था। उसे पूरा करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "जाति व्यवस्था के कारण हमारे समाज के लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं मिलता है, जबकि हमारी संख्या सबसे अधिक है।" उन्होंने आरक्षण पर बात करते हुए कहा कि, "अब हमें सिर्फ नौकरियों में ही आरक्षण नहीं चाहिए। बल्कि जमीनों पर भी हिस्सा चाहिए।"
"सरकार ने वैसे ही सरकारी नौकरियां धीरे-धीरे खत्म कर दी हैं। अगर कोई वैकेंसी आ भी जाती है तो उनमें समाज के लोगों को लिया ही नहीं जाता है। उसमें आरक्षित सीटें नहीं होती है। इसलिए अब जरूरी है कि हमें बराबरी का हक मिले। सम्मानपूर्वक जीवन जीने का अधिकार दिया जाए," उन्होंने कहा।
बौद्धमय होगा भारत
मंच से उन्होंने कहा कि हम बौद्धमय भारत बनाएंगे। जहां सब बराबर हो। वह कहते हैं, आज तेजी से लोग अपनी पूर्वजों की विरासत को स्वीकार कर रहे हैं। जिसका नतीजा यह है कि लोग बौद्ध की तरफ मुड़ रहे हैं। इस साल हमने सिर्फ 10 हजार लोगों की बौद्ध दीक्षा के बारे में सोचा था, लेकिन आज पूरे देश में एक लाख लोगों ने बौद्ध दीक्षा ली है। जिसमें सिर्फ दिल्ली में 10 हजार लोगों ने घर वापसी की है। तमिलनाडू से लगभग 150 डॉक्टर ने 25 लाख की स्पाइस जेट की एक पूरी विमान को बौद्धमय भारत बनाने का पोस्ट लगाकार चेन्नई से नागपुर लेकर आएं हैं। जहां बाबा साहब ने दीक्षा ली थी। "बौद्ध की शिक्षा का प्रसार अब रुकना नहीं चाहिए। इसके लिए मैं खुद साल 2025 में सामनेर बनकर पूरे देश में बौद्ध की शिक्षा का प्रचार करूंगा," उन्होंने कहा।
अपने भाषण में जातिव्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए राजिंदर पाल गौतम ने राजस्थान के जालौर और बाड़मेर की घटना का जिक्र किया। "यह कैसा धर्म है, जहां किसी का अच्छा कपड़ा पहनना और मूछे रखना उसकी मौत का कारण बन जाएगा। ऐसे धर्म को हमें छोड़ देना चाहिए जो हमारी जान की रक्षा नहीं कर सकता है।"
इस दौरान डॉ. बीआर आंबेडकर के पौत्र और बुद्धिस्ट सोसयिटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजरत्न आंबेडकर ने 10 हजार उपस्थित लोगों को बौद्ध धम्म की दीक्षा दिलाई। उन्होंने मंच से सभी लोगों को शपथ दिलाई। वहीं बाबा साहब के बताए मार्ग पर चलने की अपील की।
कार्यक्रम स्थल पर चारों ओर भीम सैलाब उमड़ा था। जगह-जगह भीम-बुद्ध गीतों के स्वर गूंज रहे थे। लोग हाथों में पंचशील लेकर बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की जय के नारे लगा रहे थे। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया। वहीं बड़ी संख्या में युवा कार्यक्रम स्थल पर वालंटियर के तौर पर लोगों की मदद करते नजर आए।
कार्यक्रम स्थल पर डॉ.आम्बेडकर की किताबें, ग्रंथ, उनके विचारों के संग्रह, भाषण संग्रह, बुद्ध विचार, ग्रंथ, संविधान के साथ ही विभिन्न विषयों पर पुस्तकों के विविध प्रकाशकों के स्टॉल लगे थे। इस दौरान बुद्ध और अम्बेडकर की मूर्तियों की खूब बिक्री हुई। गीत- नाटकों की सीडी भी खूब बिकी। बड़ी संख्या में भीमजन स्टॉलों पर खरीदारी करते नजर आए।
कार्यक्रम स्थल पर आनेवाले लोगों के निःशुल्क भोजन की व्यवस्था इस वर्ष भी सामाजिक संगठनों ने की थी। कई संस्थाओं ने भोजनदान किया था। शांतिपूर्ण तरीके से समारोह संपन्न हुआ।
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