बहुजन मीडिया में महिलाएं नदारद, कैसे होगा बाबा साहेब का सपना पूरा?

बहुजन मीडिया में महिलाएं नदारद, कैसे होगा बाबा साहेब का सपना पूरा?
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बाबासाहेब का संविधान लागू होने के बाद से बहुजन समाज की स्थिति में परिवर्तन हुआ है, हमारे लोग हर जगह अपनी पहचान बना रहे हैं, आवाज़ बुलंद कर रहे हैं. निजी संस्थानों में भी वे अपने हक़ के लिए लड़ रहे हैं, अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे हैं. चूंकि बहुजन मीडिया अपने पैरों पर खड़ा हो रहा है तो यहां भी प्रतिनिधित्व की बात उठना लाज़मी है. लेकिन आश्चर्य यह है कि बाबासाहेब के आदर्शों पर चलने वाले बहुजन यूट्यूब चैनल्स में महिलाओं का प्रतिनिधित्व नग्णय है.
सभी लोग सिर्फ यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं कि यह दुखद है, ऐसा नहीं होना चाहिए. यह स्थिति सवालों से भागने जैसा है, जब हमारा बहुजन समाज आगे बढ़ रहा है और महिलाएं उस अनुपात में आगे नहीं बढ़ रही है तो यह सवाल कौन पूछेगा? क्यों सोशल मीडिया पर भी बहुजन महिलाओं के मुद्दे पुरुष तय कर रहे हैं, क्यों हर जगह महिलाओं का प्रतिनिधित्व गायब है? क्या हम यह अपेक्षा करते हैं कि ब्राह्मवादी-पितृसत्ता को मानने वाले महिलाओं के प्रतिनिधित्व पर सवाल करेंगे? क्या बगैर महिलाओं की भागीदारी के हम बाबा साहेब के सपनों को पूरा करेंगे? यह सवाल हम सब सभी संविधानप्रेमियों को खुद से पूछना होगा? सिर्फ सवाल पूछने भर से ही नहीं, या संवेदना जाहिर कर देने भर से ही नहीं मिलेगा प्रतिनिधित्व के सवाल का जवाब!
 मेरे कुछ सुझाव हैं, जिसके जरिए बहुजन मीडिया में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाया जा सकता है
1. अगर किसी भी बहुजन यूट्यूब चैनल में 4 लोग हैं तो 2 महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित हो, दो लोग हैं तो एक महिला जरूर हो.
2. हर मंच पर महिलाओं को पहले सम्मानित किया जाए, उन्हें लीड करने का मौका दिया जाए, पुरुष हमारे रहनुमा बनने की कोशिश ना करें. उन्हें पहले बोलने का मौका दिया जाए, उन्हें चीफ गेस्ट बनाया जाए, उन्हें घर से बाहर निकाला जाए.
3. हर पुरुष अपनी घर की महिलाओं को सेमिनार, वेबिनार आदि जगहों पर लेकर जाएं. उनकी हर मंच पर उपस्थिति सुनिश्चित करें. महिलाओं को सिर्फ घर चलाने या बच्चे पालने का जरिया ना समझे.
4. किसी भी बहुजन मीडिया की पहचान सिर्फ पुरुष की वजह से ना बनें यह सभी पुरुष सुनिश्चित करें. अगर ऐसा हो रहा है तो यह बाबा साहेब के विचारों के खिलाफ है.
5. बहुजन मीडिया में महिलाओं की भागीदारी पर वक्त-वक्त पर बहस, सेमिनार, वेबिनार आदि होते रहें, जिसमें कम से कम 50 फीसदी महिलाएं हों और लीडरशिप महिलाओं के हाथ में हो. इसमें सभी बहुजन मीडिया को साथ देना होगा.
6. सोशल मीडिया बहुजन मीडिया का सबसे बड़ा हथियार है, यहां भी बहुजन महिलाओं के मुद्दे और ट्रेंड को स्पेस देना होगा, उनके लीडरशिप में सभी सम्मानित साथियों को भी आना चाहिए.
7. जो भी गिने-चुने यूट्यूब चैनल हैं जिन्हें महिलाएं चलाती हैं, उन सभी चैनल्स को बहुजन मीडिया लगातार प्रमोट करे ताकि दूसरी महिलाएं भी प्रोत्साहित हो और वे अपनी उपस्थिति दर्ज करा पाएं.
8. इसके साथ ही जो लोग टीम लीड कर रहे हैं या कोई बहुजन चैनल चला रहे हैं तो वो बताएं कि उनकी टीम में कितनी महिलाएं और पुरुष हैं.

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